ब्रज चौरासी कोस परिक्रमा एक ऐसी दिव्य यात्रा है जिसे केवल पैरों से नहीं, श्रद्धा और भक्ति से तय किया जाता है। यह परिक्रमा भगवान श्रीकृष्ण की बाल और प्रेम लीलाओं की भूमि—ब्रज मंडल—की परिक्रमा है, जो लगभग 252 किलोमीटर (84 कोस) क्षेत्र में फैली हुई है। इस यात्रा में मथुरा, वृंदावन, गोवर्धन, बरसाना, नंदगांव जैसे पवित्र स्थल आते हैं, जो श्रीकृष्ण और राधारानी की लीलाओं से जुड़े हुए हैं।
1. About 84 Kos Parikrama: 84 कोस परिक्रमा क्या है?
- “कोस” एक प्राचीन दूरी माप है (1 कोस ≈ 3 किलोमीटर)।
- 84 कोस यानी लगभग 252 किलोमीटर की परिक्रमा।
- यह यात्रा पूरे ब्रज मंडल की है, जहाँ श्रीकृष्ण ने जन्म, पालन, रास, और लीलाएँ कीं।
- परिक्रमा में 200+ तीर्थ स्थल आते हैं—मंदिर, सरोवर, कुंड, वन, पर्वत आदि।
- यह यात्रा आमतौर पर पैदल की जाती है लेकिन अब लोग इसे वाहनों से भी करते हैं।
2. Best Time for 84 Kos Parikrama: 84 कोस परिक्रमा का सर्वोत्तम समय
- कार्तिक मास (अक्टूबर–नवंबर) – सबसे पवित्र और शुभ समय।
- चैत्र और वैशाख माह (मार्च–मई) – मौसम अच्छा और मार्ग साफ रहता है।
- त्योहार विशेष पर –
- गुरु पूर्णिमा
- शरद पूर्णिमा
- जन्माष्टमी
- बरसाना की होली
इन समयों में परिक्रमा का विशेष धार्मिक और आध्यात्मिक महत्व होता है।
3. Importance of 84 Kos Parikrama: चौरासी कोस परिक्रमा का पौराणिक महत्व
- श्रीकृष्ण की बाल लीलाओं, रास लीला, गोवर्धन लीला, गोपियों के साथ प्रेम आदि लीलाओं से जुड़ी भूमि का भ्रमण।
- परिक्रमा से पापों का नाश, मन की शुद्धि, और मोक्ष की प्राप्ति मानी जाती है।
- यह यात्रा भक्ति, सेवा, तपस्या और समर्पण का प्रतीक है।
- अनेक संतों ने कहा है कि ब्रज की रज में लोटने मात्र से जनम-जनम के बंधन कटते हैं।
- यह परिक्रमा कर्म और आत्मा को जोड़ती है।
4. From Where We Start 84 Kos Yatra: यात्रा कहाँ से शुरू करें?
84 कोस यात्रा को चार द्वारों से शुरू किया जा सकता है, लेकिन सबसे प्रचलित प्रारंभिक स्थल हैं:
- मथुरा – श्रीकृष्ण जन्मभूमि
- वृंदावन – बांके बिहारी मंदिर से
- गोवर्धन – गिरिराज जी की परिक्रमा के साथ
- बरसाना – राधारानी का जन्मस्थान
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5. 84 Kos Yatra List with Details: चौरासी कोस यात्रा स्थल सूची
प्रमुख स्थल इस प्रकार हैं:
- मथुरा – श्रीकृष्ण जन्मस्थान
- वृंदावन – निधिवन, सेवाकुंज, बांके बिहारी मंदिर
- गोकुल – नंद भवन, रमण रेती
- महावन – श्रीकृष्ण की बाल लीलाओं की भूमि
- गोवर्धन – गिरिराज पर्वत, दानघाटी मंदिर, कुसुम सरोवर
- बरसाना – राधारानी का मंदिर, रंगीली गली
- नंदगांव – नंद बाबा का निवास, नंद भवन
- राधा कुंड और श्याम कुंड – प्रेम का परम स्थल
- भांडीरवन – राधा-कृष्ण विवाह स्थल
- बलदेव (दाऊजी) – बलराम जी का मंदिर
- काम्यावन – वनलीलाएँ
- कोकिलावन – शनिदेव मंदिर
- तेर कदंब – गोस्वामी संतों की साधना भूमि
- प्रेम सरोवर, वनगांव, सूर्य कुंड, यमुना घाट, चरण पहाड़ी, रासखान समाधि आदि।
6. कैसे करें 84 कोस यात्रा ?
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